Premchand Quotes lines in hindi – मुंशी प्रेमचंद सर्वश्रेष्ठ विचार
मुंशी प्रेमचंद ने 1898 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर स्थानीय विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हो गए। B.A करने के बाद मुंशी प्रेमचंद शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हो गए|
मुंशी प्रेमचंद रचनाओं में सबसे पहले आते हैं उनके उपन्यास गोदान 1936 गबन 1931 सेवा सदन 1918 कर्मभूमि 1920 वरदान 1921 प्रेमाश्रम 1921 रंगभूमि 1925 निर्मला 1927 प्रतिज्ञा कायाकल्प 1926 मंगलसूत्र 1948 में लिखा था।
प्रेमचंद की कहानियां इस प्रकार से है पंच परमेश्वर, कफन, नमक का दरोगा, बूढ़ी काकी, नशा, परीक्षा, ईदगाह, बड़े घर की बेटी, सुजान भगत, शतरंज के खिलाड़ी, माता का हृदय, मिस पदमा, बलिदान, दो बैलो की कथा, तथा पूस की रात, सौत कजाकी, प्रेमचंद की पहली कहानी संसार का अनमोल रत्न 1960 में जमाना पत्रिका में प्रकाशित की गयी थी|
आज हम मुंशी प्रेमचंद जी के अच्छे विचार जान लेंगे। हमें उम्मीद है की, आप ये विचार जरूर पढ़ लेंगे और अपने जीवन में इस विचारों को बढ़ावा देंगे। Best Quotes of Premchand
Premchand Quotes lines in hindi – मुंशी प्रेमचंद सर्वश्रेष्ठ विचार
(1)
एक गर्वित व्यक्ति ही
सर्वाधिक संशई होता है।
-मुंशी प्रेमचंद
(2)
सुन्दरता को
आभूषणों की आवश्यकता नहीं होती।
मृदुता आभूषणों का
भार वहन नहीं कर सकती।
-मुंशी प्रेमचंद
(3)
कायरता के समान ही
साहस भी संक्रामक होता है।
-मुंशी प्रेमचंद
(4)
जीवन में सफल होने के लिए
आपको शिक्षा की आवश्यकता होती है,
साक्षरता और उपाधियों की नहीं।
-मुंशी प्रेमचंद
(5)
सत्यता, प्रेम की पहली सीढ़ी है।
-मुंशी प्रेमचंद
(6)
विश्वास, विश्वास को उत्पन्न करता है और
अविश्वास, अविश्वास को।
यह स्वाभाविक है।
-मुंशी प्रेमचंद
(7)
सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है,
जो अपने कर्तव्य पथ पर
अविचल रहते हैं।
-मुंशी प्रेमचंद
(8)
कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता,
कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है।
-मुंशी प्रेमचंद
(9)
नमस्कार करने वाला व्यक्ति
विनम्रता को ग्रहण करता है और
समाज में सभी के प्रेम का
पात्र बन जाता है।
-मुंशी प्रेमचंद
(10)
विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला
कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला।
-मुंशी प्रेमचंद
(11)
आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन
गरूर है।
-मुंशी प्रेमचंद
(12)
सफलता में दोषों को मिटाने की
विलक्षण शक्ति है।
-मुंशी प्रेमचंद
(13)
अन्याय में सहयोग देना,
अन्याय करने के ही समान है।
-मुंशी प्रेमचंद
(14)
आत्म सम्मान की रक्षा,
हमारा सबसे पहला धर्म है।
-मुंशी प्रेमचंद
(15)
जीवन का वास्तविक सुख,
दूसरों को सुख देने में हैं,
उनका सुख लूटने में नहीं।
-मुंशी प्रेमचंद
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